रिछेश्वर महादेव
का इतिहास
अरावली पर्वतमाला में स्थित नांदिया ग्राम की पवित्र धरती पर
प्रसिद्ध रिछेश्वर महादेव मंदिर रिछी पर्वत की गोद में स्थित है ! त्रेता
युग में भगवान श्री राम और रावण युद्ध के समय युद्ध समाप्ति तक
जामवन्तजी नहीं थके तब जामवन्तजी ने
भगवान् श्रीराम से कहा कि अभी मुझे और
लड़ना है तब भगवान् श्री राम ने कहा अब मैं आपको द्वापर युग में कृष्ण अवतार में
मिलूंगा तब आपकी ये इच्छा पूरी होगी तब तक के लिए जामवन्तजी रिछी पर्वत में तपस्या
में लीन हो गए।
द्वापर युग में श्री कृष्ण पर मणि चुराने का आरोप लगा जिसके चलते अपने आप को निर्दोष
साबित करने के लिए मणि की खोज में भगवान श्री कृष्णा यहाँ रिछी
पर्वत पहुंचे, तब इसी जामवंत जी की गुफा के बाहर उन्हें उसी
व्यक्ति की लाश मिली जिस पर उन्हें मणि चुराने का संदेश था, इस
गुफा में जाने पर उन्हें जामवंत जी की पुत्री के गले में वो मणी दिखी परंतु जामवन्तजी ने वो मणि लौटाने से इनकार कर
दिया, इस पर श्री कृष्ण और जामवंत जी के बीच 28
दिनों तक मल्ल युद्ध
चला अंत में भगवान् श्री कृष्णा ने जब
अपना साक्षात विष्णु रूप जामवंत जी को
दिखाया तब जामवन्तजी ने पहचाना कि भगवान
श्री राम अपना वचन निभाने आए हैं !
तब जामवन्तजी ने श्रीकृष्ण
से कहा मणि में आपको मणि एक शर्त पर ही दे
सकता हूं कि आप मेरी पुत्री से विवाह करें । भगवान श्री कृष्णा ने शर्त मानकर
जामवन्तजी की पुत्री जामवंती से ब्याह रचाया और मंदिर में स्थित एक स्तम्भ के
चारों तरफ तेरे लिए तभी भगवान शिव ने प्रकट होकर दोनों को आशीर्वाद दिया और
अंतर्ध्यान हो गए !
उसके बाद यही शिवलिंग
स्वयंभू प्रकट हुआ जिसकी स्थापना श्री कृष्ण के हाथों हुई ! भगवान शिव जामवन्तजी की गुफा में प्रकट हुए तथा जामवन्तजी
यहां रिछो के राजा थे इसलिए इस स्थान का नाम रिच्छेश्वर महादेव पड़ा, इस शिवलिंग पर प्राकृतिक जनेऊ की आकृति बनी हुई है जो आज भी मौजूद है ।
इस मंदिर के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के चलते देश भर
से श्रद्धालु यहाँ दर्शनों के लिए आते है, गौरतलब है की इसी
मंदिर में ऑस्ट्रेलियाई मूल की महिला संत श्री दुर्गानाथजी महाराज ने करीब 12 वर्षो तक इसी मंदिर में तपस्या की थी जो देश विदेश में
काफी चर्चा का विषय भी रहा था।
पर्वतों के बीच में होने के कारण यह मंदिर बहुत ही मनमोहक है , मंदिर
के नीचे गुफा के पास में एक पानी का कुंड बना हुआ है जहां हमेशा पानी रहता है कभी
भी पानी सूखता नहीं है । इतना पवित्र स्थल
होने के कारण यहां पर बहुत सारे साधु-संतों ने यहां पर तपस्या की है (श्री श्री
१००८ दुर्गानाथजी महाराज, सिद्ध श्री रतननाथजी महाराज , श्री श्री १००८ शांतिनाथजी
महाराज, श्री श्री १००८ रसो सिद्धि मुनिजी महाराज, श्री डॉ. योगिराज रामनाथजी अघोरी
बाबा, श्री श्री १००८ ब्रह्मलीन योगी मोहननाथजी महाराज ) और अभी भी साधू संत यहा आते रहते हैं और धुनी पर बैठ कर
तपस्या करते है । रिछेश्वर महादेव बहुत से लोगों के कुलदेवता होने के कारण यहां पर
बहुत से लोग बच्चों का मुंडन कराने आते है और उनके आराध्य देव को भोग लगाकर पूजा
अर्चना करते है । श्रावण माह में यहा लम्बी कतार के बाद ही दर्शन करने को मिलता है
जय हो रिछेश्वर महादेव की...
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